उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में महिलाओं को पोषक तत्वों से भरपूर आहार प्राप्त करना अक्सर कठिन होता है, विशेषकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में। राज्य सरकार ने इस चुनौती को समझते हुए मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना की शुरुआत की है। यह योजना विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं (स्तनपान कराने वाली माताओं) और किशोरियों की पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई है। इसका मुख्य उद्देश्य है — महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना, एनीमिया को रोकना, और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना।
योजना का उद्देश्य
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ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में पोषण की स्थिति को सुधारना
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कुपोषण से ग्रसित महिलाओं और किशोरियों की पहचान करके उन्हें लक्षित सहायता प्रदान करना
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आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य सेवाओं के साथ समन्वय कर पोषण सामग्री वितरित करना
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स्थानीय संसाधनों से संतुलित आहार उपलब्ध कराना
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महिलाओं को पोषण के प्रति जागरूक बनाना
योजना की प्रमुख विशेषताएं
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लाभार्थियों की पहचान
योजना के तहत ग्राम स्तर पर सर्वेक्षण कर उन महिलाओं और किशोरियों की सूची बनाई जाती है जो पोषण की कमी से प्रभावित हैं या उच्च जोखिम में हैं। -
आहार और पोषण सामग्री का वितरण
लाभार्थियों को नियमित रूप से पोषक आहार, जैसे आयरन, फोलिक एसिड की गोलियाँ, प्रोटीन आधारित खाद्य सामग्री, और विटामिन युक्त सप्लीमेंट प्रदान किए जाते हैं। -
किचन गार्डन और स्थानीय उत्पादन
योजना के अंतर्गत महिलाओं को अपने घरों के आसपास किचन गार्डन स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे उन्हें ताजे और पोषक सब्ज़ियां मिल सकें। -
आंगनवाड़ी केंद्रों की भागीदारी
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर पोषण शिक्षा देती हैं, वजन और स्वास्थ्य की निगरानी करती हैं, और पोषण सप्ताह/दिवस जैसे अभियानों के ज़रिए जागरूकता बढ़ाती हैं। -
पोषण जागरूकता कार्यक्रम
गाँवों में नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर, पोषण जागरूकता अभियान और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें महिलाओं को सही खानपान, साफ-सफाई और स्वास्थ्य के विषय में जानकारी दी जाती है।
योजना से होने वाले लाभ
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गर्भवती और धात्री महिलाओं की शारीरिक क्षमता में सुधार
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प्रसव के समय होने वाली जटिलताओं में कमी
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किशोरियों में एनीमिया और अन्य पोषण संबंधी रोगों की रोकथाम
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बच्चों के जन्म के समय वजन में सुधार
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परिवार की महिला सदस्य अधिक आत्मनिर्भर और जागरूक बनती हैं
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समाज में महिला स्वास्थ्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास
पात्रता मानदंड
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उत्तराखंड राज्य की स्थायी निवासी हो
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गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला हो
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11 से 18 वर्ष की किशोरी हो
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ग्रामीण या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंधित हो
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना केवल एक स्वास्थ्य योजना नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा, सशक्तिकरण और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का प्रयास है। इस योजना के ज़रिए राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हर महिला को उसका पोषण अधिकार मिले। एक स्वस्थ महिला न केवल अपने परिवार का आधार होती है, बल्कि समाज और राष्ट्र की नींव भी मजबूत करती है।

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