मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना उत्तराखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य प्रदेश के युवाओं, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान बाहर से लौटे प्रवासी श्रमिकों और बेरोजगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता, ऋण और सब्सिडी उपलब्ध कराती है।
योजना की शुरुआत
यह योजना मई 2020 में कोविड-19 के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट को देखते हुए शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था कि राज्य में लौटे लाखों प्रवासी श्रमिकों और बेरोजगार युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार का अवसर मिले और वे अपने गृह जिले में ही आत्मनिर्भर बन सकें।
उद्देश्य
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बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना
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प्रवासी श्रमिकों को स्थानीय व्यवसाय में जोड़कर रोजगार देना
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पलायन को रोकना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देना
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छोटे उद्योग, सेवा क्षेत्र और व्यापार को बढ़ावा देना
पात्रता
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उत्तराखंड का स्थायी निवासी होना चाहिए
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न्यूनतम आयु 18 वर्ष
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आवेदक बेरोजगार हो या स्वरोजगार शुरू करना चाहता हो
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किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लेने की पात्रता होनी चाहिए
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प्रवासी श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाती है
मुख्य लाभ
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परियोजना लागत पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है
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बैंक से कम ब्याज दर पर ऋण सुविधा
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औद्योगिक, सेवा और व्यावसायिक क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहन
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विभागीय मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और निगरानी सहायता
ऋण और सब्सिडी की व्यवस्था
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परियोजना लागत का एक भाग राज्य सरकार सब्सिडी के रूप में देती है
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सामान्य वर्ग को लगभग 15 प्रतिशत तक की सब्सिडी
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अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला, दिव्यांग को 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी
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ऋण की अधिकतम सीमा परियोजना की प्रकृति पर निर्भर करती है
आवेदन प्रक्रिया
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आवेदन ऑनलाइन पोर्टल या जिला उद्योग केंद्र (DIC) के माध्यम से किया जा सकता है
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आवेदन के साथ आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, परियोजना रिपोर्ट और अन्य आवश्यक दस्तावेज जमा करना होता है
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आवेदन की जांच के बाद ऋण स्वीकृत किया जाता है और संबंधित बैंक से संपर्क किया जाता है
प्रशिक्षण और सहायता
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इच्छुक लाभार्थियों को व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है
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व्यवसाय के संचालन, लेखा जोखा और विपणन के लिए मार्गदर्शन
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जिला उद्योग केंद्र और संबंधित विभागों से समय-समय पर सहायता मिलती है
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना उत्तराखंड सरकार की एक दूरदर्शी योजना है जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह योजना युवाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है, बल्कि उन्हें अपने घर के पास सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर भी देती है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का विकास होता है और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।

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